तुम्हारी पनाह में रहते हैं | tumhari panaah me rahte hain |


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तुम्हारी पनाह में रहते हैं




हमेशा मंजिलें पाकर मुद्दतों से राह में रहते हैं.
हम नजरों से गिर कर भी शक की निगाह में रहते हैं .
आबोहवा में हर तरफ तुम्हारी शोखियां मौज़ूद,
हम पीर हैं बेखबर इनसे दरगाह में रहते हैं .

गुजरती है बुरी नजर चंद फासले से दबे पैर ,
भनक है दुश्मनों को हम तुम्हारी पनाह में रहते हैं.

न हिचक गीली आँख में रुपए शुमार करने से,
नेकियों से मिली दुआओं के इम्तियाज़ अल्लाह में रहते हैं .

मुख़्तसर सा दिन है तुम्हारे मुल्तवी होने का, 
नौकरीपेशा है दिल इसके असबाब तनख्वाह में रहते हैं .

हमारे मुल्क में हुई गैरों की इतिहास नवाज़ी, 
ज़हनी रसूखदार जनाब ए बाकिर ही अफ़वाह में रहते हैं .

बख्शीश ले पाते हैं नुमाइंदे ज़कात ए बिहिश्त नहीं,
हज्जे नफसानी के गुर बाअदब शहंशाह में रहते हैं . 


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जय हिन्द 


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