Hindi Kavita on Life | तिनका |

kavyapanthika


पहले भीगा हुआ तिनका

फिर सूखी हुई लकड़ी 


धागे का मोम 

फिर 

मोम का धागा 


फिर 

माचिस की तीली 

फिर 

रोगन पटाखे का 


और फिर 

बारूद बम का 

बनके बंधा और दबा 

दबा 

फिर और दबा 

दब-दब के अब साक्षात बम हूँ .

फिर भी कम हूँ .


अब सोचता हूँ 

ज्यादा होने के लिए .

इत्मिनान से सोने के लिए .


रोज की कमाई से जिनका .

पेट पलता है एक- एक दिन का .

आशियाँ फिर से उनका बनाऊँ 

बनके भीगा हुआ तिनका .


अब मैं तिनका हूँ 

तिनका-तिनका .

बीच में उनके 

घर बनना है 

जिनका-जिनका .

--------------------

जय हिन्द 

Post a Comment

0 Comments