
कैसा गुनने में होगा
कैसा सुनने में होगा
होगी कैसी प्रतिक्रिया
न समझो न समझाओ
बस
अपने मन से गाओ ,
अपने मन को गाओ .
तुम
तुम नहीं हो ,
तुम कौन बने हो ?
यदि जीवन पथ में मौन बने हो .
वाचाल यहाँ डर है
तो प्रत्युत्तर में चिल्लाओ .
कभी
जो आए जाए
संकोच सामने पर फैलाए
खुली प्रकृति का खुलापन देखे रहना आँख लगाए .
कोई नहीं फिर यहाँ पाओगे
जो कहता है मुरझाओ .
जो ,
बीता जैसा ,
मत बोलो वो कैसा ,
जो बीत रहा है ,बस चाहो ,चाहा वैसा .
है गति ये स्वाभाविक
अनायास न प्रश्नचिन्ह लगाओ .
न
शब्द जोड़ना
और कभी न शब्द तोड़ना ,
जीवन लहरी को क्योंकर पग-पग मोड़ना .
स्वर प्रकम्पित हो भला तो
मत पलटो बस रुक जाओ .
सब
थकते हैं
थक,हम भी सकते हैं
घाव कभी हो तो सहलाकर आहिस्ता से ढकते हैं
है समाधान ये
ठीक हो जैसे ,वैसे ही उठ जाओ .
अपने मन से गाओ .
अपने मन को गाओ .
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जय हिन्द
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