
उड़ चले हैं साथ भँवरे ,
बेदखल बद फूँक लेके.
कुछ हिलोरें फूल की हैं,
कुछ गुहारें
खुशबुओं की.
नेक नियति को चपेले ,
उग्र उन्मादों को पेले .
आप वाणी की धमक से ,
बा और बे झुण्ड होकर.
उड़ चले हैं साथ भँवरे ,
बेदखल बद फूँक लेके,
मानसों में मद की मूरत ,
मय की फुग्गी मत्त सूरत
.
झेंपने को झाड़ करके,
लाज को दे दे के ठोकर .
उड़ चले हैं साथ भँवरे ,
बेदखल बद फूँक लेके,
स्वप्न भोगी के बसेरे,
दूर दृष्टि में धँसे रे.
धसानों में हृदय की
मालिशें,
हैं डाकारीं खूब सोकर.
उड़ चले हैं साथ भँवरे ,
बेदखल बद फूँक लेके,
अर्जियों को चटकनी से ,
मर्जियों को पटकनी से .
टाँगा है और चांपा अब तक,
हश्र सारा बोझ ढोकर .
उड़ चले हैं साथ भँवरे ,
बेदखल बद फूँक लेके,
कुछ हिलोरें फूल की हैं ,
कुछ गुहारें खुशबुओं की.
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जय हिन्द

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