दिल की दरारों को | Dil ki dararon ko |


kavyapanthika







सब छोड़ कर के 
दरों दरवाजों दीवारों को.
उम्मीद ने घर बनाया है
दिल की दरारों को.



जब रोंदा गया जमीन को बदगुमानी से, 
तब बाहर आने का मौका मिला बहारों को.


मेरे अखबार में मेरी खबर से ज्यादा, 
लोग पढ़ा करते हैं तुम्हारे इश्तिहारों को.


वजीर से हुई गुफ़्तगू जंग की तासीर पर, 
इल्म बेबुनियादी ले डूबा कई सिपहसालारों को.


मेरी लिखी किताब कोई पढ़ नहीं पाता, 
इसमें हुबहू उतारा गया तुम्हारे इशारों को.


किश्तियाँ रुस्बा नहीं होतीं समंदर के खौफ से, 
फुदकतीं हैं उफानों पर, ले तूफाँ के यारों को. 


क्या हुआ जो गलियों से बेदखल हो गए ,
पगडंडियाँ ही रास आतीं हैं दिल के मारों को. 


दिमागी दाँव-पेंच दखल नहीं रखते इश्क में ,
न समझा पाया, न समझ आया समझदारों को.


तुम क्यों कह रहे हो ?अब चुप रहें आवाजें ,
तुमसे किसने कहा था हिलाओ मन के तारों को .

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जय हिन्द 


Kavita (kavya) is a poem or poetry. Hindi Kavita means Hindi Poem. kavyapanthika provides the best poems in Hindi, best Kavita in Hindi, The poetry of kavyapanthika is unique in feelings. Here words speak, arrangement of words knock the heart and soul. Best Hindi Kavita creat musical wave in our mind.

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