
रिश्तों ने वहम पाले हैं .
मुरादें पूरी हुईं दिल की
पाँव में आए छाले हैं .
गुफ्तगू खिड़कियों से चालू
किवाड़ों पर लटकते ताले हैं .
अँधेरा चहलकदमी सी करे
बहुत खामोश यहाँ उजाले हैं .
उठ रहा निगाहों में धुआँ
दिल में किसने लंगर डाले हैं .
यूँ ही किस बात पर हँस गए
क्या पुराने इश्क ने पर निकाले हैं .
नींद कहीं भी आ जाए पर
आते ख़्वाब तुम्हारे वाले हैं .
ज़हन में जहर बुझे खंजर
जुबां पर मस्जिद हैं शिवाले हैं .
तेरे हाथों से गिरकर पता नहीं
अब हम किसके हवाले हैं .
जितनी उम्मीदें हैं काबिज़ तेरी
छाये बादल उतने काले हैं .
गुल तेरे साए में गुल
तन्हा हुए नहीं कि भाले हैं
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जय हिन्द
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