रिश्तों ने वहम पाले हैं

kavyapanthika




रिश्तों ने वहम पाले हैं  .
पतली सड़क चौंड़े नाले हैं .


मुरादें पूरी हुईं दिल की 
पाँव में आए छाले हैं .


गुफ्तगू खिड़कियों से चालू 
किवाड़ों  पर लटकते ताले हैं .


अँधेरा चहलकदमी सी करे
बहुत खामोश यहाँ उजाले हैं .


उठ रहा निगाहों में धुआँ 
दिल में किसने लंगर डाले हैं .


यूँ  ही किस बात पर हँस गए 
क्या पुराने इश्क ने पर निकाले हैं .


नींद कहीं भी आ जाए पर 
आते ख़्वाब  तुम्हारे वाले हैं .


ज़हन में जहर बुझे खंजर 
जुबां पर मस्जिद हैं शिवाले हैं .


तेरे हाथों से गिरकर पता नहीं 
अब हम किसके हवाले हैं .


जितनी उम्मीदें हैं काबिज़ तेरी 
छाये बादल उतने काले हैं .


गुल तेरे साए में गुल 
तन्हा हुए नहीं कि भाले हैं 
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जय हिन्द

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