मुलाकातें जारी लगती हैं


kavyapanthika






मेरी नजरों में ठहरीं 
तुम्हारी आँखें तारी लगती हैं .
मिले नहीं अरसा हुआ काफी 
फिर भी मुलाकातें जारी लगती हैं .



बना दिए थे तुमने मेरे आँसू मीठे, 
पीछे छूट गईं मुस्कानें खारी लगती हैं. 



ज़िंदा दिल हैं खुशबुएँ साँसों के भीतर ,
बाहर से सूखी पंखुड़ियों सी हारी लगती हैं. 




मुड़ते ही हवा हो गई थीं रुस्वाइयाँ ,
वो तो तन्हाईयाँ हैं जो भारी लगती हैं .



वफ़ा की शिद्दत में कोई कमोवेशी न थी ,
रवायतें उनकी कोई अलफ़ की मारी लगती हैं. 



तूफाँ से मुकर के इज़ाफा इसी हश्र ने पाया ,
साहिलों के आगोश में कश्तियाँ बेचारी लगती हैं. 



खुद-ब-खुद एक मक़सद है इश्क तासीर से ,
किसी मक़सद से हुईं इश्कबाजियाँ जिम्मेदारी लगती हैं. 



कुछ सही नहीं हुआ तुम्हारी तरफ से मगर ,
जो हुआ उसमें मुझे मेरी गलतियाँ सारी लगती हैं .



दिलों की अदलाबदली शर्तों में बंध गई अब ,
बही पीठ पर लादे उल्फतें व्यापारी लगती हैं .

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जय हिन्द 


Kavita (kavya) is a poem or poetry. Hindi Kavita means Hindi Poem. kavyapanthika provides the best poems in Hindi, best Kavita in Hindi, The poetry of kavyapanthika is unique in feelings. Here words speak, arrangement of words knock the heart and soul. Best Hindi Kavita creat musical wave in our mind.

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1 Comments

  1. बहुत खूब

    हमारी मुलाकातें जारी है
    आपकी कविता भी भारी है
    इसी तरह रखिए पँक्तियों से मिलना
    न मिलने पर यादें बड़ी रुखाई है

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