सरसब्ज गिनतियाँ इजाफ़े पर हैं
खर पतवार के दम पर .
क्या से क्या बना दिए जाते हैं लोग
अख़बार के दम पर .
जिस शख्स ने चलने का हुनर सिखाया हमको
उसी को नीचा दिखाने चले थे अपनी रफ़्तार के दम पर .
जुल्फें इठलाती रहीं इस बात से बेखबर कि
पेशगी मिला करती थी उन्हें रुख़सार के दम पर .
नश्तरों पर छलनी होता है हमेशा दिल अकेला
मुक़म्मल नहीं होते इश्क कभी दो-चार के दम पर .
दुरुस्त आगाज से फ़तेह तय हो जाती है यक़ीनन
शोखियाँ बटोर पाते हैं लड़ाके यलगार के दम पर .
रूह की पाकीज़गी से जिंदगी बनी खुशनुमाँ
जिस्म तौलता रहा जिस्म को आकार के दम पर .
परवाज़ पाती रहीं वफ़ाएं खिड़कियों के सहारे
कब सिलसिले थमें हैं कहीं दर-ओ-दीवार के दम पर .
इस बरस देहरी पर तरेरती रहीं इल्तजायें
और मन्नतें सर चढ़ी निकलीं मौज-ए-मज़ार के दम पर .
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जय हिन्द
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