सरसब्ज गिनतियाँ इजाफ़े पर हैं

kavyapanthika





सरसब्ज गिनतियाँ इजाफ़े पर हैं

खर पतवार के दम पर .

क्या से क्या बना दिए जाते हैं लोग

अख़बार के दम पर .









जिस शख्स ने चलने का हुनर सिखाया हमको

उसी को नीचा दिखाने चले थे अपनी रफ़्तार के दम पर .



जुल्फें इठलाती रहीं इस बात से बेखबर कि

पेशगी मिला करती थी उन्हें रुख़सार के दम पर .



नश्तरों पर छलनी होता है हमेशा दिल अकेला

मुक़म्मल नहीं होते इश्क कभी दो-चार के दम पर .



दुरुस्त आगाज से फ़तेह तय हो जाती है यक़ीनन

शोखियाँ बटोर पाते हैं लड़ाके यलगार के दम पर .



रूह की पाकीज़गी से जिंदगी बनी खुशनुमाँ

जिस्म तौलता रहा जिस्म को आकार के दम पर .



परवाज़ पाती रहीं वफ़ाएं खिड़कियों के सहारे

कब सिलसिले थमें हैं कहीं दर-ओ-दीवार के दम पर .



इस बरस देहरी पर तरेरती रहीं इल्तजायें

और मन्नतें सर चढ़ी निकलीं मौज-ए-मज़ार के दम पर .

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जय हिन्द




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