open_music · manav yogi hai योग | yoga | युगों युगों से युगों युगों तक जीवन में है योग कि मानव योगी है .
तुम्हारे स्पर्श से उपजा होगा संवेदना का ज्वार जो अब तक मेरे ज़हन में उछाल मारता है इसी की हिलोरें मेरे ही तट को भिगाती हैं मेरे …
तुम्हारे आँसुओं की बूँदें मेरी मुस्कुराहट में स्वाद भरती हैं . मेरे साथ मेरी बारिशें भी तुमको याद करती हैं .
खाली वक्त अगर मिले तो दबे पाँव उठती हुई पीर को देखो . काम अनेकों मिल जाएँगे अपने अन्दर सोये हुए कबीर को देखो .
Social Plugin